खास बातें
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 के लॉन्चिंग में अब मात्र दो दिन का समय बचा है। लगभग एक हजार करोड़ रुपये की लागत वाले इस मिशन को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) एमके- III रॉकेट से 15 जुलाई को तड़के 02.51 मिनट पर अंतरिक्ष में भेजा जाना है। इसके लिए सात जुलाई (रविवार) को श्री हरिकोटा के लॉन्च पैड पर जीएसएलवी मार्क तीन को स्थापित किया गया।
अगर चंद्रयान-2 से चांद पर बर्फ की खोज हो पाती है तो भविष्य में यहां इंसानों का प्रवास संभव हो सकेगा। जिससे यहां शोधकार्य के साथ-साथ अंतरिक्ष विज्ञान में भी नई खोजों का रास्ता खुलेगा। लॉन्चिंग के 53 से 54 दिन बाद चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान- 2 की लैंडिंग होगा और अगले 14 दिन तक यह डेटा जुटाएगा।
भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला बनेगा पहला देश
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अब तक कोई भी देश नहीं जा सका है लेकिन अब यहां भारत अपने चंद्रयान- 2 को उतारकर इतिहास रचने जा रहा है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सूर्य की किरणे सीधी नहीं बल्कि तिरछी पड़ती हैं। इसलिए, यहां का तापमान बहुत कम होता है।
चांद के दक्षिणी ध्रुव के अधिकतर भाग पर अंधेरा रहता है। इसके अलावा यहां बड़े-बड़े क्रेटर भी हैं जिनके गढ्ढों का तापमान -250 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। इतनी ठंड में लैंडर और रोवर को ऑपरेट करना बड़ी चुनौती है। माना जा रहा है कि इन क्रेटर्स में जीवाश्म के अलावा पानी भी बर्फ के रूप में मौजूद है। More
चांद के दक्षिणी ध्रुव के अधिकतर भाग पर अंधेरा रहता है। इसके अलावा यहां बड़े-बड़े क्रेटर भी हैं जिनके गढ्ढों का तापमान -250 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। इतनी ठंड में लैंडर और रोवर को ऑपरेट करना बड़ी चुनौती है। माना जा रहा है कि इन क्रेटर्स में जीवाश्म के अलावा पानी भी बर्फ के रूप में मौजूद है। More


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Thank You Gyes